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Gyanvapi Case: सुप्रीम कोर्ट का आदेश ज्ञानवापी परिसर में जारी रहेगा ASI सर्वे, खारिज की मुस्लिम पक्ष की याचिका

Gyanvapi Case

Gyanvapi Case :

ज्ञानवापी परिसर के वैज्ञानिक जांच   को सुप्रीम कोर्ट से आदेश मिल गया  है। मुस्लिम पक्ष की  और सुप्रीम कोर्ट में इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले को चुनौती दी गई थी। जिसके बाद  शीर्ष कोर्ट ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI) के वैज्ञानिक सर्वेक्षण पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है।  सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि एएसआई ने स्पष्ट कर दिया  है कि पूरा जाँच  बिना किसी खोदाई  और तुड़ाई और किसी ढांचे  को बिना कोई नुकसान पहुंचाए पूरा किया जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने  आगे कहा कि Gyanvapi masjid में वैज्ञानिक सर्वेक्षण की पूरी प्रक्रिया बिना तोड़फोड़ के साथ  पूरी  की जाएगी। शीर्ष कोर्ट ने हाईकोर्ट के निर्देश को दोहराते हुए कहा कि सर्वेक्षण के दौरान कोई खुदाई  नहीं होगी और किसी भी प्रकार की चोट पाऊचा ई जाएगी  । इससे पहले chief justice of india  डीवाई चंद्रचूड़ की पीठ ने कहा कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश ने ASI  के हलफनामे पर ध्यान दिया गया हे और कहा गया हे की  वह अपने जाँच  के दौरान कोई खुदाई नहीं कर रहा है और दीवार और गुंबद आदि के किसी भी हिस्से को नहीं छुआ जाएगा।

सुप्रीम कोर्ट ने पूछा कि उसे  Gyanvapi masjid case  स्तर पर वैज्ञानिक जाँच  में हस्तक्षेप  आखिर क्यों करना चाहिए क्या बताना चाहेंगे ?  आपको बता दे की अयोध्या मामले में भी ASI ने सर्वेक्षण किया था। अगर जाँच हो रही हे तो इससे दिक्कत क्या हे  ASI  के सर्वे से दिक्कत क्या है? इस पर मस्जिद के पैनल ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि ASI जाँच से फायदा   यह मिलेगा कि 500 साल पहले क्या हुआ था, यह अतीत के घावों को फिर से खोल देगा।

मुस्लिम पक्ष की दलील

मुस्लिम अंजुमन इंतजामिया मस्जिद समिति की तरफ से पेश हुए  बड़े और सीनियर  वकील हुजेफा अहमदी ने दलील दी कि भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (ASI ) की यह जाँच  इतिहास को पन्नो को छेड़ने  और पूजा स्थल अधिनियमो का उल्लंघन करने के लिए की जा रही है। इससे आपस में  भाईचारा  बिगड़ेगा और धर्मनिरपेक्षता प्रभावित होगी। 

अहमदी ने  आगे इलाहाबाद हाईकोर्ट के जाँच के  आदेश पर नाराजगी जताते कहा कि ASI  का इरादा इतिहास को छेड़ कर  यह जानने का है कि 500 साल पहले क्या हुआ था। जो की गलत हे  यह पुराना  अतीत के घावों को फिर से हरा कर देगा।

उन्होंने आगे कहा की  अधिनियम, 1991 का उल्लंघन करता है, जो 1947 में मौजूद  धार्मिक स्थानों के चरित्र में बदलाव को निषिद्ध करता है।

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