Hariyali Teej :
आपके जीवन में Hariyali Teej का क्या महत्व है। Hariyali Teej का त्यौहार क्यों मनाया जाता है? इस दिन महिलाओं को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए आइये हम आगे जानते है |
Hariyali Teej 2023 :
Hariyali Teej मुख्य रूप से स्त्रियों का त्योहार है, जो श्रावण महीने के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है। इस दिन लहलाती प्रकृति समेटे Hariyali Teej, अखंड सौभाग्य एवं family की खुशहाली के लिए किया जाने वाला व्रत है। इस दिन महिलाएं उनके पति के लिए व्रत रखती है शिव-गौरी की पूजा करती है और मनोरंजन के रूप में झूला झूलते हे जो बारिश के मौसम में काफी अच्छा लगता है और साथ में सुरीले स्वर में सावन के गीत गाती हैं। इस दिन मीठे व्यंजन बनाये जाते हे जिनमे खासकर घेवर मिठाई काफी फेमस हे ,सावन के महीने में इस दिन खीर भी बनाई जाती हे जो दूध और चावलों से बनती है और महादेव और पारवती के भोग लगाया जाता हे पूजा के साथ उल्लास और उमंग का यह त्योहार एक पारंपरिक उत्सव के रूप में जीवन में नए रंग भरता है। यह त्यौहार राजस्थान में काफी धूमधाम से मनाया जाता है ।
महादेव और पार्वती स्नेह का उत्सव :
माता पार्वती और शिव के वापस मिलने की याद में Hariyali Teej त्योहार मनाया जाता है। शास्त्रों में बताया गया है कि माता पार्वती अपने सति के दूसरे जन्म के बाद महादेव को पति रूप में पाने के लिए कठोर तपस्या की थी ,जिससे खुश होकरमहादेव ने श्रावण शुक्ल तीज के दिन ही माता पार्वती को अपनी पत्नी रूप में स्वीकार किया। तभी से यह त्यौहार अखंड सौभाग्य का प्रतीक है और इस दिन भारतीय परंपरा में पति-पत्नी के स्नेह को और मजबूत बनाने और आपस में प्यार और विश्वास कायम रखने का उत्सव बन गया। इस दिन शादी शुदा महिलाएं अपने सुहाग को महादेव तथा माता पार्वती से बनाएं रखने की कामना करती हैं।
क्या है इसका महत्व :
इसे श्रावणी तीज भी कहा जाता हे जो प्रकृति के रंग में रचा एक त्योहार है। इस दिन महिलाये लहरिया पहनती है और साथ में हरी चूड़ियाँ,सोलह शृंगार करने और हाथो में मेहंदी रचाती है। इस दिन झूला झूलने के भी विशेष महत्त्व है और साथ में अथकेहीलिया और गीत भी गाती है और नाचती हे । इस त्योहार पर शादी के बाद पहला सावन आने पर नवविवाहित लड़कियों को ससुराल से पीहर बुला लिया जाता है । और उनके ससुराल सिंजारा भेजा जाता है जिनमे उनके उनके लिए वस्त्र ,गहने और मिठाईया भेजी जाती हे |
इस दिन महिलाएं मिट्टी का शिवलिंग बनाकर उनकी पूजा करती हैं और साथ ही में राजस्थान में तीज माता की सवारी निकलती हे तीज माता के लिए पूजन थाली सजाकर उनकी पूजा अर्चना की जाती हे और तीज माता की कथा सुनती हैं । और उनसे जीवन में सदा खुशहाली का वरदान मांगती हे । इसके साथ-साथ इस त्यौहार पर वृक्षों,हरी-भरी फसलों को पूजने की भी परंपरा है।
सनातन शास्त्र के अनुसार जो महिला इस दिन व्रत करेंगी और महादेव -पार्वती की पूजा करेगी उनको अखंड सौभाग्यवती रहने वरदान प्राप्त होता है |
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